वो ल्फ्ज़ आज कहीं गुम से गए है ।
जिन आँखों में कइ दिन से आंशु रुख गये थे
वो आज कहीं खो से गए है ।
पिघलते मोङ्ग की तरह हो गये है ये दिन
जो धीरे धीरे हमें खत्म से कर रहे है ।
वो हमसे बेइन्तेहाँ मोहबब्त करते है
और एक हम है , जो सिर्फ उन पे गुस्सा करते है ।
0 टिप्पणियाँ