उन पे गुस्सा करते है



जिन लफ़्ज़ों से प्यार मिलता था हमें 
वो ल्फ्ज़ आज कहीं गुम से गए है ।

जिन आँखों में कइ दिन से आंशु रुख गये थे
वो आज कहीं खो से गए है ।

पिघलते मोङ्ग की तरह हो गये है ये दिन
जो धीरे धीरे हमें खत्म से कर रहे है ।

वो हमसे बेइन्तेहाँ मोहबब्त करते है 
और एक हम है , जो सिर्फ उन पे गुस्सा करते है ।


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